सो रही होती हैं
नदी, घर, खिड़कियाँ
और श्मशान|
जागता रहता है
दुर का पुल,
शहर की ओर आती बत्तियां
और नीरवता के स्वरों में गाती
दो-चार पत्तियां|
तब
सहमी-सहमी सी एक लड़की
उलझी-गुथी उनों सी उलझी
बुनती है
हल्दी के रंग वाले सुलझे
पीले सपने|
सपने बुनती लड़की अच्छी लगी ...कविता की बुनावट भी .....!
ReplyDeleteपीले सपने ......नयी बात है !
सहमी-सहमी सी एक लड़की
ReplyDeleteउलझी-गुथी उनों सी उलझी
बुनती है
हल्दी के रंग वाले सुलझे
पीले सपने
Bahut hi saloni or pyari si soch or rachna.....