Sunday, October 18, 2009

Iss waqt sirf ....


सूर्यास्त के वक़्त
सूरज से उतरती है एक नदी
जिसका जल
तमाम नदी को कर देता है लाल
-- हम दो जने
पुल पर खड़े
उडाते हुए सिगरेट के धुएं
बाते करते हैं...
काश! कविताओ में भी बहती कोई नदी
जिसके पानी के रंग ले
हम भर देते
अपनी - अपनी महबूबाओं की माँग |

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